📅 1 नवंबर 2025 से Haryana के सभी 22 जिलों में ऑनलाइन डीड (हस्तांतरण/खरीद-बिक्री) रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
✅ क्या है बदलाव?
अब बिक्री/हस्तांतरण/संयुक्त स्वामित्व सहित अधिकांश संपत्ति प्रकार के लिए ऑनलाइन पोर्टल होगा: पहचान OTP से, फॉर्म भरना, डॉक्यूमेंट अपलोड करना।
शहरी, ग्रामीण, नगरपालिका-बाहरी इलाकों के लिए अलग-अलग वर्कफ्लो तैयार किया गया है ताकि सभी-प्रकार की ज़मीन-संपत्ति शामिल हो सके।
दस्तावेजों की पूर्व जांच (डॉक्यूमेंट चेकलिस्ट) होगी, फैसिलिटी बढ़ेगी, ऑफिस-चक्कर कम होंगे।
उसमें शामिल है automatische डिजिटल हस्ताक्षर/ biometric सत्यापन आदि, ताकि पारदर्शिता बढ़े और भ्रष्टाचार-संभावना कम हो।
📍 ग्रामीण-शहरी इलाकों पर असर
शहरी क्षेत्र में:
मेट्रो, उपनगर, विकसित शहरों में जहाँ अक्सर रजिस्ट्रेशन के लिए कई दिन लग जाते थे, नई डिजिटल प्रणाली से समय और खर्च दोनों कम होंगे।
घर-मकान, अपार्टमेंट (संयुक्त स्वामित्व) आदि के लिए प्रक्रिया आसान होगी।
ग्रामीण एवं पञ्चायत क्षेत्र में:
खेत-जमीन, पंचायत भूमि, ग्रामीण इलाकों में भी अब ऑनलाइन सिस्टम लागू होगा — इससे ग्रामीण नागरिकों को दूर-दफ्तर जाने की परेशानी कम होगी।
भूमि माप-जांच, सीमांकन आदि मामलों में भी सुधार की उम्मीद है — खासकर जहाँ डिस्प्यूट या दस्तावेज़ संबंधी देरी अक्सर होती थी।
🎯 क्यों यह महत्वपूर्ण है?
यह एक बड़ा कदम है पारदर्शिता की ओर: कम इंसानी हस्तक्षेप, कम भ्रष्टाचार-संभावना।
नागरिक-प्रयास और समय दोनों बचेंगे — एक ही कार्यालय चक्कर बिताने की बजाय अधिकांश काम ऑनलाइन हो सकेगा।
सरकारी रिकॉर्ड्स तुरंत अपडेट होंगे — जैसे ज़मीन की जानकारी, अटकलें, ऋण आदि जो पहले छिपे रहते थे अब बेहतर ट्रैक होंगे।
डिजिटल-हरियाणा की दिशा में अहम कदम: राज्य में स्मार्ट-गवर्नेंस, तकनीक-प्रयोजित सुधार।
📝 आप कैसे कर सकते हैं? (स्टेप-बाय-स्टेप)
अपने जिला-तेहसील की वेबसाइट देखें — जहाँ नई “ऑनलाइन डीड रजिस्ट्रेशन पोर्टल” लिंक होगा।
लॉग-इन/यूज़र रजिस्ट्रेशन करें, बैंकिंग/पेमेंट सेटअप कर लें।
दस्तावेजों की सूची (डॉक्यूमेंट चेकलिस्ट) देखें — जैसे पहचान-प्रूफ, विक्रेता-खरीदार की जानकारी, जमीन/स्वामित्व सम्बन्धी कागजात।
ऑनलाइन फॉर्म भरें, आवश्यक डॉक्यूमेंट अपलोड करें।
अपॉइंटमेंट बुक करें — फाइनल चेहरे-देखी/बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए कार्यालय जाना होगा।
आवेदन ट्रैक करें — SMS/ई-मेल द्वारा स्टेटस अपडेट मिलेगा।
एक बार सब कुछ ठीक होने पर, डिजिटल डीड तैयार होगी, आधिकारिक रिकॉर्ड में ट्रांसमिट हो जाएगी।
⚠️ ध्यान रखने योग्य बातें
पुराने तरीके से कागज़ पर जमा किये गए फॉर्म या पुराने रिकॉर्ड जो डिजिटल नहीं हैं, उनका ट्रांज़िशन कैसे होगा, खासकर ग्रामीण-क्षेत्र में — इस पर जागरूक रहें।
इंटरनेट‐कनेक्शन और डिजिटलीकरण की सुविधा ग्रामीण इलाकों में अभी सीमित हो सकती है — इसलिए अगर समस्या हो तो स्थानीय तहसील-कार्यालय से सहायता लें।
फर्जी वेबसाइट या लिंक से सावधान रहें — हमेशा आधिकारिक सरकारी पोर्टल से ही प्रक्रिया करें।
नए सिस्टम में सेल/जनता के लिए जवाबदेही बढ़ी है — अगर कोई अनियमितता हो तो शिकायत प्लेटफॉर्म/हेल्पलाइन देखें।
🔍 निष्कर्ष
यह कदम हरियाणा में जमीन-संपत्ति लेन-देह को सरल, तेज़ और भरोसेमंद बनाने की दिशा में है। चाहे आप शहर में हों या गांव में — अब दस्तावेजों की चक्कर लगाना कम होगा, प्रक्रिया पारदर्शी होगी, और आपका समय भी बचेगा।
झटपट प्रक्रिया अपनाएँ, जानकारी लें, और अपनी जमीन-संपत्ति को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखें।
अब बिक्री/हस्तांतरण/संयुक्त स्वामित्व सहित अधिकांश संपत्ति प्रकार के लिए ऑनलाइन पोर्टल होगा: पहचान OTP से, फॉर्म भरना, डॉक्यूमेंट अपलोड करना।
शहरी, ग्रामीण, नगरपालिका-बाहरी इलाकों के लिए अलग-अलग वर्कफ्लो तैयार किया गया है ताकि सभी-प्रकार की ज़मीन-संपत्ति शामिल हो सके।
दस्तावेजों की पूर्व जांच (डॉक्यूमेंट चेकलिस्ट) होगी, फैसिलिटी बढ़ेगी, ऑफिस-चक्कर कम होंगे।
उसमें शामिल है automatische डिजिटल हस्ताक्षर/ biometric सत्यापन आदि, ताकि पारदर्शिता बढ़े और भ्रष्टाचार-संभावना कम हो।
मेट्रो, उपनगर, विकसित शहरों में जहाँ अक्सर रजिस्ट्रेशन के लिए कई दिन लग जाते थे, नई डिजिटल प्रणाली से समय और खर्च दोनों कम होंगे।
घर-मकान, अपार्टमेंट (संयुक्त स्वामित्व) आदि के लिए प्रक्रिया आसान होगी।
खेत-जमीन, पंचायत भूमि, ग्रामीण इलाकों में भी अब ऑनलाइन सिस्टम लागू होगा — इससे ग्रामीण नागरिकों को दूर-दफ्तर जाने की परेशानी कम होगी।
भूमि माप-जांच, सीमांकन आदि मामलों में भी सुधार की उम्मीद है — खासकर जहाँ डिस्प्यूट या दस्तावेज़ संबंधी देरी अक्सर होती थी।
यह एक बड़ा कदम है पारदर्शिता की ओर: कम इंसानी हस्तक्षेप, कम भ्रष्टाचार-संभावना।
नागरिक-प्रयास और समय दोनों बचेंगे — एक ही कार्यालय चक्कर बिताने की बजाय अधिकांश काम ऑनलाइन हो सकेगा।
सरकारी रिकॉर्ड्स तुरंत अपडेट होंगे — जैसे ज़मीन की जानकारी, अटकलें, ऋण आदि जो पहले छिपे रहते थे अब बेहतर ट्रैक होंगे।
डिजिटल-हरियाणा की दिशा में अहम कदम: राज्य में स्मार्ट-गवर्नेंस, तकनीक-प्रयोजित सुधार।
अपने जिला-तेहसील की वेबसाइट देखें — जहाँ नई “ऑनलाइन डीड रजिस्ट्रेशन पोर्टल” लिंक होगा।
लॉग-इन/यूज़र रजिस्ट्रेशन करें, बैंकिंग/पेमेंट सेटअप कर लें।
दस्तावेजों की सूची (डॉक्यूमेंट चेकलिस्ट) देखें — जैसे पहचान-प्रूफ, विक्रेता-खरीदार की जानकारी, जमीन/स्वामित्व सम्बन्धी कागजात।
ऑनलाइन फॉर्म भरें, आवश्यक डॉक्यूमेंट अपलोड करें।
अपॉइंटमेंट बुक करें — फाइनल चेहरे-देखी/बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए कार्यालय जाना होगा।
आवेदन ट्रैक करें — SMS/ई-मेल द्वारा स्टेटस अपडेट मिलेगा।
एक बार सब कुछ ठीक होने पर, डिजिटल डीड तैयार होगी, आधिकारिक रिकॉर्ड में ट्रांसमिट हो जाएगी।
पुराने तरीके से कागज़ पर जमा किये गए फॉर्म या पुराने रिकॉर्ड जो डिजिटल नहीं हैं, उनका ट्रांज़िशन कैसे होगा, खासकर ग्रामीण-क्षेत्र में — इस पर जागरूक रहें।
इंटरनेट‐कनेक्शन और डिजिटलीकरण की सुविधा ग्रामीण इलाकों में अभी सीमित हो सकती है — इसलिए अगर समस्या हो तो स्थानीय तहसील-कार्यालय से सहायता लें।
फर्जी वेबसाइट या लिंक से सावधान रहें — हमेशा आधिकारिक सरकारी पोर्टल से ही प्रक्रिया करें।
नए सिस्टम में सेल/जनता के लिए जवाबदेही बढ़ी है — अगर कोई अनियमितता हो तो शिकायत प्लेटफॉर्म/हेल्पलाइन देखें।
